शर्मसार है लोकतंत्र, राज साहेब!
शर्मसार है लोकतंत्र, राज साहेब! मैं आपके सामने क्या हूँ, जो आपको सलाह देने की जुर्रत कर सकूँ? पर कुछ बातें स्मृति में आती हैं| छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने मुग़ल साम्राज्य से लोहा लिया और उसकी नाक के नीचे महाराष्ट्र की स्थापना की| आपने उनके बारे में पढ़ा ही होगा| जिस महाराष्ट्र में आप रह रहे हैं, यह उनकी ही देन है अन्यथा मराठों को अन्य शक्तियों का साथ कब मिला? उन्होंने अपनी सेना के संगठन में हरेक वर्ग का सहयोग लिया| फिर मुझे याद आता है बालासाहेब के बारे में कि उन्होंने मुंबई में उन दिनों समानांतर सरकार सफलतापूर्वक चलाई जबकि वहाँ दाउद इब्राहिम का ज़बरदस्त दखल था| तब शायद आप बालक ही हों! अब मैंने देखा है कि पिछले एक दशक में कुछ लोग बड़े हो गए और उन्होंने बालासाहेब से नाता तोड़कर अपना एक नया साम्राज्य बनाने की कोशिश की है| आप तो जानते हैं कि आपसी कलह परिवार का विनाश करती है और बाहरी ताकतों को जलसा करने का मौका देती है| आज आप देखते ही हैं कि आपका सयुंक्त परिवार सत्ता से कितनी दूर है! आपको ज़रूर मंथन करना चाहिए| यदि व्यक्ति को अपने प...