संस्कृत - शास्त्र में उल्लेख है: विद्या ददाति विनयम, विन्यादियाति पात्रताम। पात्र त्वात धनं आप्नोति, धनाद धर्मं ततः सुखं।। जैसा कि श्लोक में कहा गया- विद्या का अर्जन करने से विनय आती है यानी कि विद्यार्थी विनम्र आचरण करना सीखता है। जो विनम्रता का व्यवहार करता है, उ...
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