उड़ चले हैं पंछी, छोड़ अपना आशियाना !
आशियाने में पल रहे चहेतों को जिलाना!!
आसमान में छाये हैं, ये भी तो बताना!
रंग ख्वाबों से चुनने, यहां तक तो आना!!
मंज़िल है भले दूर, पल का भी न ठिकाना!
उड़ते-उड़ते सूरज तक, यूँ ही चले जाना!!
इंतज़ार में हैं अपने, दिल-ऐ -मालिकाना!
आएंगे घर लेकर, खुशियों का खज़ाना!!
हो गया है रोशन, अमिताभ से ज़माना!
तू आयी बड़ी देर से, अब देर से जाना!!
-स्वरुप, गणपत स्वरुप :)
आशियाने में पल रहे चहेतों को जिलाना!!
आसमान में छाये हैं, ये भी तो बताना!
रंग ख्वाबों से चुनने, यहां तक तो आना!!
मंज़िल है भले दूर, पल का भी न ठिकाना!
उड़ते-उड़ते सूरज तक, यूँ ही चले जाना!!
इंतज़ार में हैं अपने, दिल-ऐ -मालिकाना!
आएंगे घर लेकर, खुशियों का खज़ाना!!
हो गया है रोशन, अमिताभ से ज़माना!
तू आयी बड़ी देर से, अब देर से जाना!!
-स्वरुप, गणपत स्वरुप :)
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