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Showing posts from October, 2009

ये हमारे हुक्मरान!

जब शक्ति प्राप्त करने की बात होती है तो लोग मूँछों पर ताव देते हुए, बल का प्रदर्शन करते हैं| दोनों हाथ जोड़कर नम्रता और विनय की मूर्ति बनते हैं| सुनहरे भविष्य के सपने दिखाते हैं| जीत के जश्न को पटाखे फोड़कर प्रकट करते हैं| कानून-नियम की तमाम बातें करते हैं| विरोधियों के काले कारनामों की सूची बनाते हैं| उनके अराजक साम्राज्य की तस्वीर बड़े करीने से गढ़ते हैं|                                         जब सत्ता के गलियारे में वे पहुँच जाते हैं तो वे तमाम उन बातों को, जो वे अब तक करते रहे; जैसा कि ऊपर वर्णन किया गया है, पूरी तरह भूल जाते हैं| वो मूँछों का ताव और वो ढोल-धमाकों के शोर में नाचना; सब स्मृति से उड़न-छू हो जाता है|                                         ये हमारे हुक्मरानों के लोकप्रिय लक्षण हैं| और संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य है कि फिर भी सब वैसा ही चल रहा है; सफलतापूर्वक! सिंहासन पर बैठकर एक ग्वाले को भी विक्रमादित्य की न्यायिकशक्ति मिल गई थी; पर यहाँ सब कर्तव्यनिष्ठा की शपथ भी भूल जाते हैं| एक बार यदि वे सिंहासन पर चढ़ गए तो उन्हें उतारना मुश्किल है| आपके पास कोई विकल्प ही नहीं स

रंगमंच की दुनिया! मनमाफ़िक दुनिया!!

इस संसार में आपको ईश्वर ने जैसा बनाकर भेजा है; आप वैसी ही क़द-काठी, रंग-रूप और समाज से मिले हालातों के बंधन में जकड़े हुए जीवन जीते हैं| "नाटक" में ये बंधन नहीं होते| यहाँ आपको मनमाफ़िक दुनिया में जीने का एक मौका मिलता है|   -गणपत स्वरुप पाठक