ऐसा हुआ कि अपराध की सजा मुकम्मल करने के बजाय ये व्यवस्था दी कि अपराधी की उम्र १८ साल और उसके ऊपर होगी! १८ साल से कम की आयु के लोगों को अपराधी न माना जाये। इस बात की तामील की जाये कि इस उम्र से एक दिन पहले भी यदि किसी ने  कोई ऐसा कार्य किया है, जिसे कानून अपराध मानता है, वह अपराध नहीं  माना  जायेगा और ऐसे मामले में गिरफ़्तारी, अवैध होगी। पुलिस ये अपना फ़र्ज़ समझे कि इस तरह के मामले में कोई मर्ग़ क़ायम न  जाये। इस तरह के मामलों से अदालत का क़ीमती वक़्त ज़ाया होता है!................... फ़ैसला आप पर!

Comments

Popular posts from this blog

आगरा बाज़ार, एक ऐसा नाटक कि बस बार-बार देखो!

वाका-वाका!