अब्दुल कलाम के विचार!

अभी हाल ही में, मुझे मेरे मित्र का इलेक्ट्रॉनिक-संदेश मिला जिसमें पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के एक लेख की प्रति थी लेख में जो कहा गया था वह हमें जगाने को पर्याप्त था हम गुलाम इसलिए बने क्योंकि हम जागरूक नहीं थे आज भी तरक्की के मामले में हम स्वावलंबी नहीं हैं हम अपने देश के नेताओं को दोष देते हैं, व्यवस्था को दोष देते हैं, परन्तु ये भूल जाते हैं कि हम में से ही नेता बनते हैं और हम ही मिलकर व्यवस्था का जाल बुनते हैं मुझे याद आता है, आमिर खान का "अहा ज़िन्दगी" में लिखा लेख उस लेख में भी हमारे उन नागरिकों के बारे में कहा गया है जो कुछ करने के बजाय केवल दूसरों पर दोषारोपण करने में माहिर हैं
यहाँ देश के लिए दो महत्त्पूर्ण मुद्दे रखना चाहता हूँ- एक सांप्रदायिक झगड़े और दूसरा देश की समृद्धि!!
पहले मुद्दे पर में आमिर खान से सहमत हूँ कि सांप्रदायिक झगड़े तभी बड़ा रूप लेते हैं जबकि आप उसमें हिंदू-मुसलमान वाली बात नज़र करते हैं यदि देखा जाए तो झगड़ा तो वह वैसा ही है जैसे कि दो भाई अपने अधिकारों के लिए झगड़ते हैं या दो पड़ोसी किसी घरेलू विवाद के कारण झगड़ते हैं और बाद में उनके क़रीबी रिश्तेदार विवाद को सुलझाने के बजाय उसमें अपने क़रीबी का साथ देते हैं और यह जतलाते हैं कि हम तुम्हारे कितने हितैषी हैं! दरअसल, वे साथ देने के बजाय उसका नुक्सान ही कर रहे होते हैं, क्योंकि जो मन में अशांति होती है उसे कोई दूर नहीं कर पाता है जो हानि उसे होती है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर पाता है तो यदि लोग किसी भी मुआमले में बड़ी सोच रखकर उसे दो व्यक्तियों के बीच बात मानकर उसे छोड़ देंगे और ज़्यादा बिगड़ने पर उसे सुलझाने पर ज़ोर देंगे तो ये बड़ा अच्छा और समाज को बनाने में एक अहम् क़दम होगा!
दूसरी बात कि मुल्क की तरक्की तभी सम्भव है जबकि लोग अपनी-अपनी भूमिकाओं में खरे उतरेंगे जैसा कि क़लामजी ने एक लेख में कहा है -भारत को हमें बनाना है! जैसा हम चाहेंगे वह वैसा ही बनेगा! बहुत मामलों में वह सभी देशों में बहुत आगे है! हम कहीं भी पिछड़े नहीं हैं! अपने अतीत को याद करो! हम समृद्ध हैं और कहीं कोई कमी है तो उसे सुधारेंगे!
तो साथियो जब कभी हमें लगे कि हम ग़लत जा रहे हैं या कहीं भटक गए हैं, तब एकमात्र रास्ता हमारे सामने यह होता है कि हम पीछे मुड़कर देखें, सब ठीक हो जाता है!
कभी-न-कभी कलाम जी का यह संदेश ज़रूर पहुंचेगा, किसी देशभक्त के इलेक्ट्रोनिक-संदेश के माध्यम से!
जय हिंद! जय भारत!!
-गणपत स्वरुप पाठक
मंगलवार २९ सितम्बर २००९

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